My Love
तुम्हारे आने और जाने के समय में कोई साम्य नहीं है
और यही मेरे डर का सबसे बड़ा कारण है
मेरी निर्द्वन्दता पर हमला
तुम आहट देती हो धीरे से अपने आने की
और जाते वक़्त तो बिलकुल खामोश ही होती हो
तुम उगी हो ज़मीन के बाहर-बाहर
तुम्हारी जड़ें फैली हैं अन्दर दूर तक
मैं तुम्हारी फनगियों को सहलाता हूँ
तुम शर्म से अपनी जड़ें सिकोड़ती हो
तुम्हारी साँसों के घटते जाने पर आज
हाँ, आज ख़ास तौर पर
मुझे बहुत चिन्ता हो रही है
तुम्हारे फलों का स्वाद लेने के बाद
एक अपूर्व सन्तुष्टि के बीच
तुम पूछती हो "हमने अभी जो किया वह प्रेम था न"
उस समय भी तुम्हारी बीतती साँसों में छिपी होती है मृत्यु
जो तुम अपने होंठों से मेरे भीतर उतारती हो
प्रियंवद की नायिका हो तुम
उद्दाम प्रेम में पगी, फिर भी कभी निश्चिन्त, कभी उद्विग्न
मेरे पास तुम्हें छिपाने के लिये हृदय से बेहतर कोई स्थान नहीं
जब हरी दूब की नोक पर रखा पाता हूँ तुम्हारे आँसू
इधर-उध नज़र घुमाने पर तुरन्त एक कोने में सहमी
मिलती हो तुम
तुम्हें छूता हूँ तो पेड़ हो जाता हूँ
और तुम एक लता
तुमने मुझे रोना सिखाया है
पूरी श्रेष्ठता में पूरा उठकर
पूरी तरह जगमग-जगमग रोना
मैं हमेशा रोता रहूँगा
तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हें हृदय में रखूँगा इस तरह
जैसे आसमान नदियों में सुरक्षित रखता है अपना रंग
जैसे आँधियाँ झाड़ियों में छिपा रखती हैं अपना तोड़
जैसे साज़िन्दे सुर में सहेज रखते हैं अपनी आवाज़
--यूनिकवि विमल चंद्र पाण्डेय
Nice Post......
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