मैंने शांति नहीं जानी है
मैंने शांति नहीं जानी है त्रुटी कुछ है मेरे अन्दर भी
त्रुटी कुछ है मेरे बाहर भी
दोनों को त्रुटी हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है
मैंने शांति नहीं मानी है
आयु बिता दी यत्नों में लग
उसी जगह मैं, उसी जगह लग
कभी कभी सोचा करता अब, क्या मैंने की नादानी है
मैंने शांति नहीं मानी है
पर निराश होऊं किस कारण
क्या पर्याप्त नहीं आश्वासन
दुनिया से मानी , अपने से मैंने हार नहीं मानी है
मैंने शांति नहीं मानी है
-- हरिवंश राय बच्चन