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Aug 24, 2012

Fir Udd Chala

फिर उड़ चला पंछी ,एक नए आशियाने की तरफ

फिर  उड़  चला  पंछी  ,एक  नए  आशियाने  की  तरफ
ज़िन्दगी  ने  फिर  एक ,नयी  करवट  ले  ली .
अभी  तक  जहाँ  हम  खुद  को  महफूज़  समझते  थे
वो  जगह  डर  ओ  ज़ज्बात  की  आहो  ने  ले  ली
याद  आयेगा  ये  गुलशन ,ये  सवेरा  किसी  एक  दिन

सुकून   की  यादें  मुझसे  तो  वक़्त  की  टिक  टिक  ने  ले  ली
जाने  की  ख़ुशी  है  या  बिछड़ने  का  गम ,
आंसू  और  हँसी  तो  इस  खामोश  धड़कन  ने  ले  ली
याद  आऊं कभी  तो  आंसू  बहा  देना
क्या  करू ,मेरे  आंसुओ  की  जगह  काम  की  जल्दी  ने  ले  ली
फिर  उड़  चला  पंछी ,एक  नए  आशियाने  की  तरफ .
ज़िन्दगी  ने  फिर  एक ,नयी  करवट  ले  ली .
-- ब्रीजेन्द्र प्रताप सिंह