अधूरी ज़िन्दगी
ऐ आसमान वाले ज़मीन पर उतर कर देख ,
होती है क्या जुदाई तू भी बिछड़ कर देख .. !!
लिखता है तू सब की तकदीर ऊपर बैठ कर ,
अपने हाथों की लकीरों से झगड़ कर देख ..!!
देता है सज़ा अपने "प्यार" के बिना जिंदा रहने की,
वो अधूरी ज़िन्दगी तू भी तो जी कर देख ..!!
ना आये जो सुकून दुनिया की किसी भी शह में,
अपने ही दर पे अपना सर झुका के तो देख ..!!
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