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Aug 6, 2011

Ik Bat Hothon Tak Hai Jo Aai Nahi

अहसास

इक बात होंठों तक है जो आई नहीं
बस आँखों से है झांकती
तुमसे कभी, मुझसे कभी
कुछ लफ्ज़ हैं वो मांगती
जिनको पहनके होंठों तक आ जाए वो
आवाज़ की बाहों में बाहें डालके इठलाये वो
लेकिन जो ये इक बात है
अहसास ही अहसास है

खुशबू सी है जैसे हवा में तैरती
खुशबू जो बे-आवाज़ है
जिसका पता तुमको भी है
जिसकी खबर मुझको भी है
दुनिया से भी छुपता नहीं
ये जाने कैसा राज़ है

--जावेद अख्तर

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