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Aug 14, 2011

Chhoti-Chhoti Chhitrai Yaadein

छोटी-छोटी छितराई यादें

छोटी-छोटी छितराई यादें…. बिछी पड़ी है लम्हों की लॉन पर .
नंगे पैर उनपे चलते-चलते इतनी दूर आ
गए हैं, की अब भूल गए है जूते कहाँ उतारे थे
..
एडी कोमल थी जब आये थे,
थोड़ी सी नाज़ुक है अभी भी.. और नाज़ुक ही रहेगी
..
इन खट्टी-मीठी यादों की शरारत जब तक इन्हें गुदगुदाती रहेगी..
सच.. भूल गए है जूते कहाँ उतारे थे
..
पर लगता है की अब उनकी ज़रूरत नहीं..!!

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