बस मैं हूँ
पिघले नीलम सा बहता ये समां,
नीली नीली सी खामोशियाँ ,
न कहीं है ज़मीन न कहीं आसमान,
सरसराती हुई टहनियां पत्तियाँ,
कह रहीं है बस एक तुम हो यहाँ ,
बस मैं हूँ ,
मेरी सांसें हैं और मेरी धडकनें ,
ऐसी गहराइयाँ , ऐसी तनहाइयाँ ,
और मैं… सिर्फ मैं.
अपने होने पर मुझको यकीन आ गया .
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