Pages

Aug 22, 2011

Apne hone par mujhko yakeen aa gaya

बस मैं हूँ

पिघले नीलम सा बहता ये समां,
नीली नीली सी खामोशियाँ ,
न कहीं है ज़मीन न कहीं आसमान,
सरसराती हुई टहनियां पत्तियाँ,
कह रहीं है बस एक तुम हो यहाँ ,
बस मैं हूँ ,
मेरी सांसें हैं और मेरी धडकनें ,
ऐसी गहराइयाँ , ऐसी तनहाइयाँ ,
और मैं… सिर्फ मैं.
अपने होने पर मुझको यकीन आ गया .

No comments:

Post a Comment