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Aug 4, 2011

लीला तिवानी
पश्चिम विहार, नई दिल्ली

तेरे जन्मदिन की शुभ वेला,
लगा बहारों का है मेला।
तेरी खुशियों से खुश होकर,
मौसम भी लगता अलबेला॥

चंदा बरसाता है चंदनिया,
चांदी-सा चमके हर कोना।
चमक-चमककर दमक-दमककर,
सूरज बरसाता है सोना।

छम-छम बूंदें बरस रही हैं,
सब कहते हैं आई वर्षा।
मेरा मत है शुभ अवसर पर,
परमपिता का मन भी हर्षा॥

महक रहा है उपवन सारा,
महक रहीं खुशियों से कलियां।
अमराई में कोयल गाए,
गूंज से गुंजित सारी गलियां॥

धरती लाई भेंट धैर्य की,
अंबर में आशा का मेला।
सागर ने मोती वारे हैं,
आई कितनी प्यारी वेला!

यूं ही जन्मदिन आता रहे,
हर वर्ष तुम्हें हर्षाता रहे।
जीवन हो मस्ती से पूरित,
गीत खुशी के गाता रहे॥

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